श्री गोरक्षनाथ सरयू आश्रम फाउंडेशन एक आध्यात्मिक एवं गैर-लाभकारी संस्था है, जो नाथ संप्रदाय की प्राचीन शिक्षाओं के पुनर्जागरण, संरक्षण और प्रसार के लिए समर्पित है। यह संप्रदाय योग, त्याग और आत्मजागरण के मार्गदर्शक गुरु मत्स्येंद्रनाथ एवं गुरु गोरक्षनाथ की परंपरा से प्रेरित है।
इस महान कार्य का नेतृत्व कर रहे हैं योगी सोमनाथ — एक युवा नाथ योगी व सन्यासी, जो आधुनिक समझ और प्राचीन ज्ञान के संगम पथ पर अग्रसर हैं। फाउंडेशन का संकल्प है कि अयोध्या — धर्म, अनुशासन और दिव्यता की पवित्र नगरी — में एक आध्यात्मिक आश्रम एवं योगिक मंदिर की स्थापना की जाए।
इस फाउंडेशन के केंद्र में एक स्पष्ट और आध्यात्मिक रूप से गहराई लिए उद्देश्य निहित है:
"अयोध्या में एक पवित्र नाथ योग आश्रम एवं मंदिर की स्थापना करना — एक ऐसा स्थान जहाँ मौन, अनुशासन, भक्ति और आंतरिक रूपांतरण के माध्यम से गुरु गोरक्षनाथ की शाश्वत ज्योति सत्य, वैराग्य और आंतरिक शक्ति के मार्ग पर पीढ़ियों का मार्गदर्शन करे।"
श्री गोरक्षनाथ सरयू आश्रम केवल एक भवन नहीं होगा — यह एक जीवंत अग्नि की तरह होगा, एक गुरुकुल रूपी तीर्थ, जहाँ समर्पित साधक सीखेंगे, ध्यान करेंगे, सरल जीवन जिएँगे और नाथ मार्ग पर बिना भटकाव के अग्रसर होंगे।
अयोध्या में नाथ योग परंपरा का पुनर्जागरण
योगी सोमनाथ जी के मार्गदर्शन में स्थापित
दैनिक पूजा हेतु मुख्य मंदिर।
गहन साधना हेतु ध्यान कक्ष।
ग्रंथ अध्ययन व शोध पुस्तकालय।
गौशाला एवं पर्यावरण अनुकूल निवास।
युवाओं की आध्यात्मिक दिशा।
संस्कार और साधना।
युवाशक्ति का निर्माण।
तनाव व चिंता का समाधान विकल्प।
साधु, श्रद्धालु व निर्धनों को अन्नदान।
प्राकृतिक उपचार हेतु स्वास्थ्य शिविर।
गौसंरक्षण, जैविक खेती व पर्यावरण सेवा।
आवश्यकजन को आध्यात्मिक परामर्श व मार्गदर्शन।
गुरु गोरक्षनाथ की प्रामाणिक शिक्षाएँ।
हठयोग, प्राणायाम, ध्यान व सेवा कार्यक्रम।
गोरक्ष शतक, गीताजी आदि ग्रंथ अध्ययन
नाथ संप्रदाय की साधना परंपरा का संवर्धन।
योगी सोमनाथ एक समर्पित नाथ योगी, प्रमाणित योग प्रशिक्षक और विधि स्नातक (एल.एल.बी.) हैं, जिन्होंने सांसारिक जीवन के आकर्षणों को त्यागकर संन्यास और आध्यात्मिक सेवा के पथ को स्वीकार किया है। उनका जीवन मौन, अनुशासन और आत्मचिंतन का प्रतीक है। वे नाथ संप्रदाय की प्राचीन योगिक परंपराओं के संरक्षक और आधुनिक युग के अनुरूप अध्यात्म के संवाहक हैं। उनके व्यक्तित्व में जहां एक ओर गहन साधना और वैराग्य की चमक है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक शिक्षा, सोच और संवाद की स्पष्टता भी है। योगी सोमनाथ का जीवन ब्रह्मचर्य, सरलता और सेवा भावना से ओत-प्रोत है। वे शब्दों से अधिक मौन में संवाद करते हैं, और उनका आचरण स्वयं एक प्रेरणा बन जाता है। उन्होंने अनेक युवाओं, विद्यार्थियों और जिज्ञासु आत्माओं को अपने जीवन के द्वारा धर्म, योग और सेवा के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी है। उनकी दृष्टि एक ऐसे भारत की है जो आध्यात्मिक मूल्यों में दृढ़ होकर भी वैश्विक विचारों के प्रति सजग हो—एक ऐसा भारत जो नाथ परंपरा की आंतरिक शक्ति को युगों तक जीवंत रखे।
ब्रह्मचर्य, सरलता और सेवा के प्रति उनके व्यक्तिगत संकल्प के द्वारा
युवाओं, विद्यार्थियों और पेशेवरों से उनके सहज जुड़ाव के माध्यम से
एक ऐसे धार्मिक भारत की उनकी दृष्टि से — जो आध्यात्मिक रूप से जड़ें मजबूत रखता हो, और वैश्विक दृष्टि से जागरूक भी हो